अफगानिस्तान की महिला अधिकार कार्यकर्ता जरीफा गफरी ने तालिबान से सभी लड़कियों के स्कूलों को फिर से खोलने अपील करते हुए विश्व नेताओं से कहा कि वे अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर ध्यान दें और अफगानों और यूक्रेनियन के बीच अंतर न करें। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार गफारी ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक खुले पत्र में अफगान लड़कियों के स्कूलों को फिर से खोलने की मांग पर जोर दिया और विश्व नेताओं से अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर ध्यान देने और अफगानों और यूक्रेनियन के बीच अंतर नहीं करने के लिए कहा। इस बीच संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने भी अफगान लड़कियों के लिए स्कूलों को बंद करने और उनकी सुरक्षा पर चिंता जताई है।
अमेरिका और यूरोपीय देशों के दूतों का संयुक्त बयान
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ, अमेरिका और यूरोपीय देशों के दूतों और प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त बयान में यह भी कहा है कि काबुल को अंतरराष्ट्रीय सहायता सभी स्तरों पर लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने की अफगानिस्तान की क्षमता पर निर्भर करेगी। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त बयान में दूतों और प्रतिनिधियों ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय सहायता का प्रकार और दायरा अन्य बातों के अलावा लड़कियों के सभी स्तरों पर समान शिक्षा में भाग लेने के अधिकार और क्षमता पर निर्भर करेगा।
संयुक्त बयान में आगे जोर दिया गया कि तालिबान और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच सामान्य संबंधों की दिशा में प्रगति काबुल की कार्रवाइयों और अफगान लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति प्रतिबद्धताओं और दायित्वों पर निर्भर करेगी। इसके अलावा 6 अप्रैल को डिप्लोमैटिक कॉर्प्स की एक ब्रीफिंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप-विशेष प्रतिनिधि मेटे नुडसेन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि लड़कियों के माध्यमिक स्कूलों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान के फैसले ने उनके प्रति वैश्विक समुदाय के रवैये को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
तालिबान ने कक्षा छह से ऊपर की छात्राओं के स्कूलों में जाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। लड़कियों को तब तक घर में रहने के लिए कहा गया है जब तक कि इस्लामिक अमीरात अपने अगले फैसले की घोषणा नहीं कर देता। इस्लामिक अमीरात के इस फैसले की कनाडा, फ्रांस, इटली, नॉर्वे, ब्रिटेन, अमेरिका के विदेश मंत्रियों और यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि ने निंदा की है और गंभीर प्रतिक्रिया दी है।
विस्तार
अफगानिस्तान की महिला अधिकार कार्यकर्ता जरीफा गफरी ने तालिबान से सभी लड़कियों के स्कूलों को फिर से खोलने अपील करते हुए विश्व नेताओं से कहा कि वे अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर ध्यान दें और अफगानों और यूक्रेनियन के बीच अंतर न करें। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार गफारी ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों को एक खुले पत्र में अफगान लड़कियों के स्कूलों को फिर से खोलने की मांग पर जोर दिया और विश्व नेताओं से अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर ध्यान देने और अफगानों और यूक्रेनियन के बीच अंतर नहीं करने के लिए कहा। इस बीच संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने भी अफगान लड़कियों के लिए स्कूलों को बंद करने और उनकी सुरक्षा पर चिंता जताई है।
अमेरिका और यूरोपीय देशों के दूतों का संयुक्त बयान
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय संघ, अमेरिका और यूरोपीय देशों के दूतों और प्रतिनिधियों ने एक संयुक्त बयान में यह भी कहा है कि काबुल को अंतरराष्ट्रीय सहायता सभी स्तरों पर लड़कियों की शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करने की अफगानिस्तान की क्षमता पर निर्भर करेगी। टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त बयान में दूतों और प्रतिनिधियों ने कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय सहायता का प्रकार और दायरा अन्य बातों के अलावा लड़कियों के सभी स्तरों पर समान शिक्षा में भाग लेने के अधिकार और क्षमता पर निर्भर करेगा।
संयुक्त बयान में आगे जोर दिया गया कि तालिबान और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच सामान्य संबंधों की दिशा में प्रगति काबुल की कार्रवाइयों और अफगान लोगों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के प्रति प्रतिबद्धताओं और दायित्वों पर निर्भर करेगी। इसके अलावा 6 अप्रैल को डिप्लोमैटिक कॉर्प्स की एक ब्रीफिंग के दौरान संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप-विशेष प्रतिनिधि मेटे नुडसेन ने इस बात पर प्रकाश डाला कि लड़कियों के माध्यमिक स्कूलों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाने के तालिबान के फैसले ने उनके प्रति वैश्विक समुदाय के रवैये को नकारात्मक रूप से प्रभावित किया है।
तालिबान ने कक्षा छह से ऊपर की छात्राओं के स्कूलों में जाने पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी किया है। लड़कियों को तब तक घर में रहने के लिए कहा गया है जब तक कि इस्लामिक अमीरात अपने अगले फैसले की घोषणा नहीं कर देता। इस्लामिक अमीरात के इस फैसले की कनाडा, फ्रांस, इटली, नॉर्वे, ब्रिटेन, अमेरिका के विदेश मंत्रियों और यूरोपीय संघ के उच्च प्रतिनिधि ने निंदा की है और गंभीर प्रतिक्रिया दी है।