हम जो खाते हैं वह हमारी पसंद का मामला हो सकता है, लेकिन 'वैश्विक पर्यावरणीय दृष्टिकोण' पर संयुक्त राष्ट्र की एक व्यापक रिपोर्ट ने दुनिया को "कम मांस वाली गहन" आहार को अपनाने और जलवायु-स्मार्ट कृषि को चुनने के लिए भोजन-अनाज का उत्पादन करने की सलाह दी है ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए ग्रह से खत्म हो रहे संसाधनों को संरक्षित किया जा सके।
केन्या की राजधानी नैरोबी में आयोजित चौथे यूएन इन्वायरमेंट एसेंबली में पर्यावऱण के भविष्य को लेकर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने कहा कि चावल या गेहूं की तुलना में एक किलो बीफ़ या पोर्क का उत्पादन करने के लिए अधिक पानी का उपयोग किया जाता है। मांस उत्पादन के लिए वर्तमान में वैश्विक कृषि भूमि का 77 फीसदी भाग उपयोग किया जा रहा है।
इस दौरान कई देशों ने कृषि योग्य प्रथाओं को प्रोत्साहित करके खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। बुधवार को जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट (छठा वैश्विक पर्यावरणीय दृष्टिकोण) में खाद्य उत्पादन और खपत पर सलाह दी गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वैश्विक खाद्य पदार्थों का 33 फीसदी बर्बाद होता है। जबकि इसका 56 फीसदी भाग विकसित देशों द्वारा बर्बाद किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के कार्यकारी निदेशक जोयेस सुया ने कहा, 'यह रिपोर्ट मानवता के लिए एक दृष्टिकोण है। हम इस समय दो राहों पर खड़े हैं। हम अपने वर्तमान पथ पर आगे बढ़ते रहेंगे जो मानव जाति के लिए एक अंधकारमय भविष्य का कारण बनेगा या फिर हम दूसरे मार्ग को अपनाएंगे। इस बात का फैसला हमारे राजनेताओं को अभी करना होगा।'
हम जो खाते हैं वह हमारी पसंद का मामला हो सकता है, लेकिन 'वैश्विक पर्यावरणीय दृष्टिकोण' पर संयुक्त राष्ट्र की एक व्यापक रिपोर्ट ने दुनिया को "कम मांस वाली गहन" आहार को अपनाने और जलवायु-स्मार्ट कृषि को चुनने के लिए भोजन-अनाज का उत्पादन करने की सलाह दी है ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए ग्रह से खत्म हो रहे संसाधनों को संरक्षित किया जा सके।
केन्या की राजधानी नैरोबी में आयोजित चौथे यूएन इन्वायरमेंट एसेंबली में पर्यावऱण के भविष्य को लेकर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने कहा कि चावल या गेहूं की तुलना में एक किलो बीफ़ या पोर्क का उत्पादन करने के लिए अधिक पानी का उपयोग किया जाता है। मांस उत्पादन के लिए वर्तमान में वैश्विक कृषि भूमि का 77 फीसदी भाग उपयोग किया जा रहा है।
इस दौरान कई देशों ने कृषि योग्य प्रथाओं को प्रोत्साहित करके खाद्य प्रणालियों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया। बुधवार को जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट (छठा वैश्विक पर्यावरणीय दृष्टिकोण) में खाद्य उत्पादन और खपत पर सलाह दी गई है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वैश्विक खाद्य पदार्थों का 33 फीसदी बर्बाद होता है। जबकि इसका 56 फीसदी भाग विकसित देशों द्वारा बर्बाद किया जाता है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण के कार्यकारी निदेशक जोयेस सुया ने कहा, 'यह रिपोर्ट मानवता के लिए एक दृष्टिकोण है। हम इस समय दो राहों पर खड़े हैं। हम अपने वर्तमान पथ पर आगे बढ़ते रहेंगे जो मानव जाति के लिए एक अंधकारमय भविष्य का कारण बनेगा या फिर हम दूसरे मार्ग को अपनाएंगे। इस बात का फैसला हमारे राजनेताओं को अभी करना होगा।'