आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र की एक और रिपोर्ट से पाकिस्तान का नापाक चेहरा बेनकाब हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में आतंकवादी और आतंकी संगठन लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में सक्रिय ऐसे कई संगठनों की कमान पाकिस्तान के आतंकवादियों के हाथों में है। इसमें इस्लामिक स्टेट (आईएस) और अलकायदा जैसे संगठन शामिल हैं। कई आतंकी अब भी संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में शामिल नहीं हैं।
संयुक्त राष्ट्र की विश्लेषणात्मक सपोर्ट और प्रतिबंधों की निगरानी टीम की रिपोर्ट में बताया गया कि अप्रैल और मई में अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों ने आईएसआईएल-के (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लीवेंट- खुरासान) के सरगना असलम फारूकी उर्फ अब्दुल्ला ओरकजई को गिरफ्तार किया था।
वह काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले का मास्टरमाइंड है, जिसमें 25 सिख मारे गए थे। ओरकजई पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा का रहने वाला है। उसके साथ आईएसआईएल-के का पूर्व सरगना जियाउल-हक उर्फ अबू उमर भी गिरफ्तार किया गया था। वह भी पाकिस्तानी नागरिक है। दोनों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति की ओर से अब तक काली सूची में नहीं डाला गया है।
एक्यूआईएस में 200 आतंकी
भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) अफगानिस्तान के निमरूज, हेलमंड और कंधार प्रांत से संचालित होता है। अभी यह तालिबान के अंडर में काम करता है। इसका मौजूदा सरगना पाकिस्तानी आतंकवादी ओसामा महमूद है। वैश्विक आतंकियों की सूची में उसका भी नाम नहीं है। इस संगठन में बांग्लादेश, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान के 150 से 200 आतंकी हैं।
पाकिस्तान में छुपा है जवाहिरी
अफगानिस्तान में सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की बीते दो साल से कमान संभाल रहा आमिर नूर वली मसूद भी पाकिस्तानी है। इसी महीने उसे वैश्विक आतंकी घोषित किया गया है। मसूद के डिप्टी कारी अमजद और टीटीपी प्रवक्ता मोहम्मद खोरसानी अभी संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में नहीं हैं।
अलकायदा अफगानिस्तान के 12 प्रांतों में सक्रिय है और उसका मुखिया अल जवाहिरी अब भी पाकिस्तान में छुपा हुआ है। जवाहिरी का हक्कानी नेटवर्क से नजदीकी संबंध है।
विस्तार
आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र की एक और रिपोर्ट से पाकिस्तान का नापाक चेहरा बेनकाब हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में आतंकवादी और आतंकी संगठन लगातार बढ़ रहे हैं। भारत में सक्रिय ऐसे कई संगठनों की कमान पाकिस्तान के आतंकवादियों के हाथों में है। इसमें इस्लामिक स्टेट (आईएस) और अलकायदा जैसे संगठन शामिल हैं। कई आतंकी अब भी संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में शामिल नहीं हैं।
संयुक्त राष्ट्र की विश्लेषणात्मक सपोर्ट और प्रतिबंधों की निगरानी टीम की रिपोर्ट में बताया गया कि अप्रैल और मई में अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों ने आईएसआईएल-के (इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड लीवेंट- खुरासान) के सरगना असलम फारूकी उर्फ अब्दुल्ला ओरकजई को गिरफ्तार किया था।
वह काबुल में एक गुरुद्वारे पर हुए हमले का मास्टरमाइंड है, जिसमें 25 सिख मारे गए थे। ओरकजई पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा का रहने वाला है। उसके साथ आईएसआईएल-के का पूर्व सरगना जियाउल-हक उर्फ अबू उमर भी गिरफ्तार किया गया था। वह भी पाकिस्तानी नागरिक है। दोनों को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति की ओर से अब तक काली सूची में नहीं डाला गया है।
एक्यूआईएस में 200 आतंकी
भारतीय उपमहाद्वीप में अलकायदा (एक्यूआईएस) अफगानिस्तान के निमरूज, हेलमंड और कंधार प्रांत से संचालित होता है। अभी यह तालिबान के अंडर में काम करता है। इसका मौजूदा सरगना पाकिस्तानी आतंकवादी ओसामा महमूद है। वैश्विक आतंकियों की सूची में उसका भी नाम नहीं है। इस संगठन में बांग्लादेश, भारत, म्यांमार और पाकिस्तान के 150 से 200 आतंकी हैं।
पाकिस्तान में छुपा है जवाहिरी
अफगानिस्तान में सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) की बीते दो साल से कमान संभाल रहा आमिर नूर वली मसूद भी पाकिस्तानी है। इसी महीने उसे वैश्विक आतंकी घोषित किया गया है। मसूद के डिप्टी कारी अमजद और टीटीपी प्रवक्ता मोहम्मद खोरसानी अभी संयुक्त राष्ट्र की काली सूची में नहीं हैं।
अलकायदा अफगानिस्तान के 12 प्रांतों में सक्रिय है और उसका मुखिया अल जवाहिरी अब भी पाकिस्तान में छुपा हुआ है। जवाहिरी का हक्कानी नेटवर्क से नजदीकी संबंध है।